कुछ लम्हें....
Friday, July 4, 2008
ये वो लम्हें हैं जिन्हें हर कोई जीना चाहता है। ये प्रतीक है अपनी उस विरासत का जिसके जरिये हिन्दुस्तान में पश्चिमी देशों का प्रवेश द्वार खुला।
Thursday, July 3, 2008
घूमने का मन
ये है एक निशानी जिसे देख कर सारी यादें ताजी हो जाती हैं.
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Savita H. Khartade
एक आम इन्सान हूँ जो बिल्कुल ही आपके बीच रहती है। हर बार आपकी ही बातों को अपने इस माध्यम से बताने की कोशिश करती हूँ। शायद कभी मैं इस प्रयास में सफल हो जाउँ कि आपके बीच भी कुछ करने की भावना जग उठे, तभी मेरी पत्रकारिता का सदुपयोग हो सकेगा।
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